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सम्राट् - परिचय |
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अफगानिस्तान से आ कर हिन्दुस्थान पर आक्रमण किया । उसको परास्त करने के लिए अकबर आगे बढ़ा । अकबरके जानेसे वह भाग गया। इससे अकबरको युद्ध करनेका तो विशेष मौका न मिला, परन्तु उसने लाहोर के पासके एक जंगलमें दस माइलके घेरे में अपने पचास हजार सैनिकोंके द्वारा एक महीने तक जंगली जानवरोंको इकट्ठा करवाया । जब दस माइलके घेरे में जानवर इकट्ठे हो गये तब तलवार, भाले, बंदूक आदिले पाँच दिन तक, बड़ी ही क्रूरता के साथ उनका वध करवाया । यह शिकार ' कम' के नामसे पहिचानी जाती है । कहा जाता है कि, ऐसा शिकार पहिले कभी किसीने नहीं कियाथा । हमारे जानने में भी अबतक ऐसी कोई घटना नहीं आई है । दस माइल में एकत्रित किये हुए जानवरोंका पाँच दिन तक संहार करनेवाले हृदय उस समय कैसे क्रूर हुए होंगे ? क्या कोई इसका अनुमान कर सकता है ? इससे सहज ही में अकबरकी क्रूरताका अंदाजा लगाया जा सकता है । इसीसे कहा जाता है कि, अकबर जैसा दयालु था वैसा ही क्रूर भी था ।
प्रायः राजाओं में क्षण में रुष्ट और क्षणमें तुष्ट होनेकी आदत ज्यादा होती है । उन्हें प्रसन्न होते भी देर नहीं लगती और नाराज होते भी देर नहीं लगती । जिस समय वह किसी पर नाराज होता उस समय वह मनुष्य यह नहीं सोच सकता था कि, अकबर उसकी क्या दुर्दशा करेगा ? अपराधीको दंड देनेका उसने कोई नियम ही नहीं बनाया था । उसकी इच्छा ही दंड विधान था । एक वार किसीने किसीके जूते चुराये | अकबर के पास शिकायत आई । अकबरने उसके दोनों पैर काट देनेका हुक्म दिया | अकबर का स्वभाव बहुत क्रोधी था, इसी लिए वह कई वार न्याय या अन्याय देखे विना ही, जो अपराधी बना कर सामने लाया जाता था उसे हाथीके पैरों तले कुचलनेकी,
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