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________________ सम्राट् - परिचय | ६५ , अफगानिस्तान से आ कर हिन्दुस्थान पर आक्रमण किया । उसको परास्त करने के लिए अकबर आगे बढ़ा । अकबरके जानेसे वह भाग गया। इससे अकबरको युद्ध करनेका तो विशेष मौका न मिला, परन्तु उसने लाहोर के पासके एक जंगलमें दस माइलके घेरे में अपने पचास हजार सैनिकोंके द्वारा एक महीने तक जंगली जानवरोंको इकट्ठा करवाया । जब दस माइलके घेरे में जानवर इकट्ठे हो गये तब तलवार, भाले, बंदूक आदिले पाँच दिन तक, बड़ी ही क्रूरता के साथ उनका वध करवाया । यह शिकार ' कम' के नामसे पहिचानी जाती है । कहा जाता है कि, ऐसा शिकार पहिले कभी किसीने नहीं कियाथा । हमारे जानने में भी अबतक ऐसी कोई घटना नहीं आई है । दस माइल में एकत्रित किये हुए जानवरोंका पाँच दिन तक संहार करनेवाले हृदय उस समय कैसे क्रूर हुए होंगे ? क्या कोई इसका अनुमान कर सकता है ? इससे सहज ही में अकबरकी क्रूरताका अंदाजा लगाया जा सकता है । इसीसे कहा जाता है कि, अकबर जैसा दयालु था वैसा ही क्रूर भी था । प्रायः राजाओं में क्षण में रुष्ट और क्षणमें तुष्ट होनेकी आदत ज्यादा होती है । उन्हें प्रसन्न होते भी देर नहीं लगती और नाराज होते भी देर नहीं लगती । जिस समय वह किसी पर नाराज होता उस समय वह मनुष्य यह नहीं सोच सकता था कि, अकबर उसकी क्या दुर्दशा करेगा ? अपराधीको दंड देनेका उसने कोई नियम ही नहीं बनाया था । उसकी इच्छा ही दंड विधान था । एक वार किसीने किसीके जूते चुराये | अकबर के पास शिकायत आई । अकबरने उसके दोनों पैर काट देनेका हुक्म दिया | अकबर का स्वभाव बहुत क्रोधी था, इसी लिए वह कई वार न्याय या अन्याय देखे विना ही, जो अपराधी बना कर सामने लाया जाता था उसे हाथीके पैरों तले कुचलनेकी, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003208
Book TitleSurishwar aur Samrat Akbar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyavijay
PublisherVijaydharm Laxmi Mandir Agra
Publication Year
Total Pages474
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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