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सूरीश्वर और सम्राट्। पड्यंत्र रचे थे। इतना ही नहीं उसने अकबरका कट्टर शत्रु बनकर उसका राज्य छीन लेनेका प्रयत्न भी किया था । इसी प्रयत्नमें जब वह पकड़ा गया और कैद करके अकबरके सामने लाया गया तब अकबरकी उदारता अपना कार्य किये विना न रही। अकबरने अपने कई अधिकारियोंको सामने भेज कर उसका सम्मान किया । इतना ही नहीं, उसने जब बहरामखाँको मौतके भयसे थर थर काँपते हुए देखा, तब सिंहासनसे उठ, उसका हाथ पकड़, उसे अपने दाहिनी तरफ सिंहासन पर ला बिठाया । वाह ! अकबर वाह ! तेरी उदारवृत्तिको कोटिशः धन्यवाद है।
प्रसिद्धि प्राप्त उच्च श्रेणीके मनुष्योंमें जैसे अच्छे अच्छे गुण होते हैं, वैसे ही उनमें कई ऐसे अपलक्षण या अवगुण भी होते हैं कि, जिनके कारण वे सर्वतोभावसे लोकप्रिय नहीं हो सकते हैं। इतना ही क्यों, उन दुर्गुणोंके कारण वे अपने कार्यों में भी पीछे रह जाते हैं। अकबर जैसा शान्त था वैसा ही क्रोधी भी था; जैसा उदार था वैसा ही लोभी भी था; जैसा कार्यदक्ष था वैसा ही प्रमादी भी था; जैसा दयालु था वैसा ही क्रूर भी था और जैसा गंभीर था वैसा ही खिलाड़ी भी था । प्रकृतिके नियमोंके साथ क्या कोई द्वंद्व कर सकता है ? एक मनुष्यकी जितनी प्रशंसा करनी पड़ती है उतनी ही उसके दुर्गुणोंके लिए घृणा भी दिखानी पड़ती है । अपनी गुणवाली प्रकृतिको सब तरहसे संभाल कर रखनेवाले पुरुष संसारमें बहुत ही कम होते हैं । मनुष्योंमें जो दुर्गुण होते हैं उनमेंसे कई स्वाभाविक होते हैं, कई शौकिया होते हैं और कई संसर्गज होते हैं। सम्राट्में जो दुर्गुण थे वे भिन्न भिन्न प्रकारसे उसमें पड़े थे। जीवनके प्रारंभहीसे उसको कारण भी वैसे ही मिले थे । पाँच बरसकी आयुमें उसको शिक्षा देनेके लिए जो शिक्षक रखा गया था उसने उसे
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