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________________ त्रयस्त्रिंशस्तम्भः । ५४० बहुरि विक्रमके राज्यपदसैं वर्षचत्वारि (४) पीछें पूर्वोक्त दूसरा भद्रबाहुकूं आ चार्यका पट्ट हुवा | बहुरि श्रीमहावीर स्वामी पीछें च्यारिसैं बाणवें (४९२) वर्ष गये सुभद्राचार्य का वर्त्तमान वर्ष चोईस (२४) सो विक्रमजन्मतें बावीस (२२) वर्ष, बहुरि ताका राज्यतै वर्ष च्यार (४) दूसरा भद्रबाहु हुवा जांणना. बहुरि श्रीमहावीरतें च्यारसैंसत्तरि (४७०), वर्ष पीछें विक्रम राजा भयो, ताके पीछें आठ वर्षपर्यंत बालक्रीडा करि, ताके पीछें सोलह वर्षतांई देशांतरविषै भ्रमण करि, ताके पीछें छप्पनवर्षतांई राज कीयो नानाप्रकार मिथ्यात्वके उपदेश करि संयुक्त रह्यौ, बहुरि ताके पीछें चालीसवर्षतांई पूर्व मिथ्यात्वको छोडि जिनधर्मकूं पालिकरि देवपदवी पाई, ऐसें विक्रमराजाकी उत्पत्ति आदि है तदुक्तं विक्रमप्रबंधे गाथा || सत्तरिचदुसदजुत्तो तिणकाले विकमो हवइ जम्मो ॥ अठवरसबाललीला सोडसवासेहिं भम्मिए देसे ॥ १ ॥ रसपणवासारज्जं कुणति मिच्छोपदेससंजुत्तो ॥ चालीसवासजिणवरधम्मं पालेय सुरपयं लहियं ॥ २ ॥ इससे सिद्ध होता है कि, दूसरे भद्रबाहु श्रीवीरनिर्वाणसें ४९८ वर्षे पट्टपर हुए. क्योंकि, श्रीवीरनिर्वाणसें ४७० वर्षे विक्रमराजाका जन्म हुआ, ८ वर्ष विक्रमराजाने बालक्रीडा करी, १६ वर्ष देशाटन करा, एवं सर्व मिलाके ४९४ वर्ष हुए; पीछे विक्रमका राज्यपद हुआ, तिसके राज्य ४ संवत् भद्रबाहुका पट्टपर होना, एवं ४९८ वर्ष हुए. और सर्वार्थसिद्धिकी भाषाटीका में श्रीवीरनिर्वाणसें ६४३ वर्षे भद्रबाहु हुए लिखे हैं. पूर्वोक्त पहावलिमें प्रथम ऐसें लिखा है, बहुरि श्रीमहावीरस्वामीपीछें च्यारसें अडसठ (४६८ ) वर्ष गए सुभद्राचार्य भया, ताके वर्तमान कालके वर्ष छह (६) बहुरि ताके पीछें तथा श्रीमहावीरस्वामीपीछें च्यारसें चहोत्तरि (४७४ ) वर्ष गये यशोभद्राचार्य भये, ताका वर्त्तमानकाल के वर्ष अठारह (१८) है. और आगे जाके लिखा है कि, बहुरि श्रीमहावीरस्वामीपीछें च्यारिसें बाणवें (४९२ ) वर्ष गये सुभद्राचार्यका वर्त्तमान वर्ष चोईस (२४). Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003207
Book TitleTattvanirnaya Prasada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAmarchand P Parmar
Publication Year1902
Total Pages878
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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