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________________ सप्तमस्तम्भः। फेर मनुजीने, विनास्त्रीके दश प्रजापति प्रजा सृजनेवाले ऋषियोंको और सात मनुयोकों कैसे उत्पन्न करे ? जेकर विनास्त्रीके संतानकी उत्पत्ति हो जावे तो, ब्रह्माजीने स्त्री बन कर काहेकों तिसकेसाथ मैथुन करके विराट उत्पन्न करा ? ऋग्वेदके भाष्यकारने तो, विराट्का अर्थ जो यह ब्रह्मांड है सो करा है, परंतु ब्रह्माजीने तो अंडेसेही ब्रह्मांड रचा लिखा है, तो फेर यह विराट्नामा बीचमें कौन उत्पन्न हो गया, जिसने मनुकों उत्पन्न करा ? अब अज्ञानियोंके कथनकी कहांतक समीक्षा करीए, जिस कथनका प्रमाणयुक्तिसे विचार करते है, सोही मिथ्या स्वकपोलकल्पित सिद्ध होता है; जैसा मनुका कथन प्रमाणयुक्तिसे बाधित है, ऐसाही सर्वस्मृति पुराणोंका जान लेना. इत्यलं बहुप्रयासेन ॥ इत्याचार्यश्रीमद्विजयानन्दसूरीश्वरविरचिते तत्त्वनिर्णयप्रा. सादग्रन्थेमनुस्मृतिसृष्टिक्रमवर्णनो नाम षष्ठः स्तम्भः ॥६॥ ॥ अथसप्तमस्तम्भारंभः॥ षष्ठस्तम्भमें मनुस्मृतिका सृष्टिक्रम लिखा, अथ सप्तमस्तम्भमें पूर्वप्रतिज्ञात ऋग्वेदादिका सृष्टिक्रम लिखते हैं. नासदासीन्नोसदासीत्तदानी नासीद्रजो नो व्योमा परो यत् ॥ किमावरीवः कुहकस्य शर्मन्नम्भः किमासीदहनं गभीरम् ॥१॥ न। असत् । आसीत् । नोइति । सत् । आसीत् । तदानीम् । न । आसीत् । रजः। नोइति। विऽउंम । परः। यत् । किम् । आ। अवरीवरिति। कुह । कस्य । शर्मन् । अम्भः । किम् । आसीत् । गहनम् । गभीरम् ॥१॥ नमृत्युरासीदमृतं न तर्हि न रात्र्या अह्र आसीत्प्रकेतः ॥ आनीदवातं स्वधया तदेकं तस्माद्धान्यन्न परः किं च नास ॥२॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003207
Book TitleTattvanirnaya Prasada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAmarchand P Parmar
Publication Year1902
Total Pages878
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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