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॥ अहम् ॥ श्रीगुरुदेवविजयधर्मसूरिभ्योनमः
वीर-विहार मीमांसा
लगभग २५४४ वर्ष पूर्व श्रीमहावीरस्वामी का जन्म विदेह देश के क्षत्रियकुण्ड में हुआ था । यह स्थान वैशाली (जिला मुजफ्फरपुर ) के समीप था, आजकल वैशाली बसाढ नाम से प्रसिद्ध है जो कि पटना से उत्तर दिशा में २७ मील पर है । इस स्थान के सम्बन्ध में हम ने विस्तृत विवेचन अपने 'वैशाली' नामक ग्रन्थ में किया है। इसी क्षत्रियकुण्ड के बाहर ज्ञातखण्डवन में मार्गशीर्ष वदि १० के दिन चतुर्थ प्रहर में ३० वर्ष की आयु में भगवान ने संसार का त्याग किया था । अनुमानतः साढ़े बारह वर्ष से कुछ ही दिन अधिक छद्मस्थावस्था में रहे, और छद्मस्थावस्था में जिन जिन स्थानों में भगवान ने भ्रमण किया था उस का उल्लेख परिशिष्ट में किया गया है । इस वर्णन के आधार पर यह कहा जा सकता है कि भगवान का विहारक्षेत्र केवल निम्न देशों तक ही सीमित था : विदेह, मल्लदेश, शाक्यदेश, केकयाद्ध, मगध, अंग, कुणाल (कोशल), लाढ (राढ), वत्स, कलिंग, काशी, भग्ग, शाण्डिल्य ।।
परन्तु धीरे धीरे समय परिवर्तन के साथ नयी नयी कल्पनायें सामने आती गई, उन कल्पनाओं के चक्कर में पड़कर सामान्य जनता न केवल शास्त्रों द्वारा वर्णित भगवान के विहारक्षेत्र को भूल गई,
१. केवल ज्ञान होने से पूर्व की अवस्था ।
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