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________________ ( ६९ ) १८८-आवश्यकसूत्र को अथ से इति तक ? ,, १८९-क्या हमारे सा० प्र० पो० चरित्रानु० ? , १९०-महानिशीथ और महाकल्प सूत्र तो० ? ,, १९१–नहीं इनका कहना बिलकुल मिथ्या है ? ,, , उपासकदशाँग और पूज्य घासीलालजी १९२-सुभद्रा और डोरावाली मुंहपत्ती ? , १९३–पुजणि मुँहपत्ती उसके साथ में दी थी ? , ३१८ १९४-रत्नादि जेवरों के साथ उसको भी बक्स०? ,, , १९५-वस्त्राभूषण तो पहनने से ही शो० ? , , १९६-सुभद्रा ने पूंजणी हाथ में, मुँहपत्ती मुँह पर० ? । ३१८ १९७-मुं० पर सलमा सतार मोतियों का काम० ?, ३१९ १९८-पहिले तो छोटी मुँहपत्ती ही थी ? , ३२० १९९-आपको क्या मतलब है ? २००-हमारे पूज्यजी के फोटु मौजूद हैं छोटी २०१-हम निपट लेंगे ? २०२-प्रमाण जरूर दिये हैं ? ३२१ २०३-हमारे पूज्यजी ने यों हो लिख दिया है ? २०४-महाबल का विवाह जैनेतरों के वहाँ ? ३२३ २०५-सुभद्रा प्रभुपूजा करती थी ये०? २०६-अच्छा बताइये? २०७-आपके यहाँ औरतें भी पूजा करती हैं ? ,, २०८-विनो पूजा औरतें तिलक नहीं करती हैं ? , ३२६ २०९-प्राविल तो जब करे तव ही अच्छा है ? , ३२७ س ३२२ ३२५ Jain Education International For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.org
SR No.003204
Book TitleMurtipooja ka Prachin Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarvijay
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1936
Total Pages576
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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