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________________ ( ५६ ) नम्बर विषय २१-ढूंढिया साधूमार्गी स्थानकवासी मतोत्पति । २२-बत्तीस सूत्रों के हिन्दी अनुवाद की योग्यता । २३-बत्तीस सूत्रों की मान्यता का खास कारण । २४-स्थानकवासियों द्वारा नियुक्ति टीका चूर्णी भाष्या० । ३४ २५-शाश्वति जिन प्रतिमाएँ। २६-तीन प्रकार के जिन एवं अरिहन्त । २५-देव छंदमें १०८ जिनप्रतिमाएँ। २८-शाश्वति जिनप्रतिमाओं के चार नाम । २९-जिनप्रतिभाओं का शरीर का वर्णन । ३०-शाश्वति प्रतिभाएँ को कामदेव की प्र. कहने वालों में ५० ३१-जिनदेव की दाडों। ३२-जिन दाडों ले जाने का कारण । ३३-सुरियामदेव के जीताचार की जिनामा। ३४-सुरियाम देव की की हुई १७ भेदी पूजा। ३५-बत्तीस वस्तुओं की पूजा का उत्तर में । ३६-सुरियाम देव के १२ प्रश्नों का उत्तर । ३७-सुरियाभ देव की जन्म समय की भावना में प्रभुपूजा। ६० २८-चारित्र पालना, जिनवन्दन, प्रभु पूजा के सरश फल । ६४ ३९-प्रकरण का उपसंहार । ४०-जैनागमों में प्रशाश्वति मूर्तियों की पूजा। ४१-उववाह सूत्रमें चम्पा नगरी के मन्दिर४२- , ,, पुरुषों से जिनपूजा । ४३-अमरेन्द्र और जिन प्रतिमा का शरणा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003204
Book TitleMurtipooja ka Prachin Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarvijay
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1936
Total Pages576
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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