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क्या ती० मैं मुं० बाँधते थे ओर से शास्त्रार्थ करने को एक पंच प्रतिक्रमण पढ़ो हुआ मुनि भी इस प्रकार का न्यायालय में शास्त्रार्थ करने को तैयार है। ___एक अंग्रेज ने सूरि सम्राट आचार्य श्री शान्तिसूरि से प्रश्न किया कि आपके धर्म में और तो सब अच्छा है पर कई लोग मुँह पर कपड़े का एक टुकड़ा दिनभर बांध रखते हैं इसका क्या मतलब है । सूरिजी ने कहा कि वे लोग इससे जीव दया पालना कहते हैं इस पर डॉक्टर साहब ने कहा कि मेरे स्त्रयाल से इससे जीवदया नहीं, पर जीवहिंसा विशेष होती है क्यों कि दिन भर कपड़ा मुँहपर बान्धने से वह गीला हो जाता है और उसमें असंख्य जीव पैदा होते हैं और वे सब मुंह की गरम हवा से मर जाते हैं और वह गन्धी हवा वापिस मुंह में जाने से स्वास्थ्य को हानि भी पहुँचतो है । इस लिये इस प्रथा को चलाने वाला रखे । यदि आपका यह कहना हो ति मध्यस्थ पण्डितों के अन्दर से सब के सब नहीं किन्तु कुछ पण्डितों ने फैसला दिया है परन्तु आप उन मध्यस्थ पण्डितों से किसी एक का तो इस फैसला के विषय में विरोध हो तो उनके हस्ताक्षर से जाहिर करें वरना अब थोथो बातों और मिथ्या लेखों से जनता को भ्रम में डाल देने का जमाना नहीं है कि नाभानरेश की सभा के नियत किये हुए मध्यस्थ पण्डित उभय तरफ की दलीलें सुन निपक्ष भावों से फैसला दें और उस फैसला को छपवाने को खास नाभा नरेश अपनी अनुमति दें उसको तो जनता असत्य समझले और प्रमाण शून्य मनः कल्पित बिलकुछ झूठो बातें पर सहस दुनिया विश्वास करले ? इससे तो ऐसी रद्दी पुस्तकें प्रकाशित करवाने वालों की उल्टी हंसी होती है फिर भी यह लोग युक्ति मशहूर है कि "हारिया जुवारी दूना खेले" इसी युक्ति को हमारे स्थानकवासी कई मतग्राही लोग ठीक चरतार्थ कर रहे हैं तथापि इस सस्यता के युग में सदैव सत्य की हो जय हो रही है।
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