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( ३९ ) १५) श्रीमान् ज्ञानमलजी बेद मुहवा फलोदी ( मारवाड़) ११) श्रीमान् किस्तूरचंदजी राजमलजी वरदिया, फलोदी।
१८५६) ___ उपयुक्त उदार सद्गृहस्थों को हम धन्यवाद देते हैं और अन्य सम्जनों से प्रार्थना करते हैं कि वे अपनी चज लक्ष्मी को इस प्रकार सत्कार्य में सदुपयोग कर अचल बनावें । शुभम् ।
-प्रकाशक
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