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( ३७ ) है। क्योंकि आपने स्था० साधु अमोलखर्षिजी कृत ३२ सूत्रों के हिन्दी अनुवाद की एक पेटो हमको देखने के लिये भेजाई और द्रव्य सहायता भी दी है।
५-श्रीमान् रूपचन्दजी मूता (भन्साली) पाली (मारवाद) आपने भी इस कार्य में काफी सहायता दी है। इस किताब के मैटर को देखना और फूक संशोधन करने में आपने समय समय पर सहयोग दिया है !
६-श्रीमान् जीतमलजी लूणिया अजमेर वालों ने इस किताब के लिए कई प्रकार की सहायता और दिलचस्पी से काम दिया अतएव आपका उपकार मानना भी हम भूल नहीं सकते हैं।
-इनके अलावा और भी अनेक सज्जनों ने आवश्यक ब्लॉक आदि भेजने की कृपो की है, जिनमें निम्न महाशय विशेष धन्यवाद के पात्र है । जैसे:- मुनिश्री चरणविजयजी महाराज, शशि एण्ड कम्पनी बड़ोदा, मुनिश्री हेमेन्द्रसागरजी प्रान्तेज, शाह जयन्तिलाल छोटालाल, साराभाइ नबाव वडोदरा जैन सत्य प्रकाश कार्यलय, अहमदागद आदि सज्जनों ने उक्त (ब्जाक आदि की) सहायता दे समाज के द्रव्य की रक्षा की है। .. ८-श्रीमान् वदनमलजी वैद फलौदी वालों ने भी इस कार्य में सहायता दी है। - ९-अब अन्तिम उपकार हम उन सज्जनों का मानते हैं जिन्होंने कि इस प्रन्थ के लिखने के समय प्रमाणिक साहित्य भेज कर हमें उपकृत किया है।
-प्रकाशक
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