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कौन क्या कहते हैं ?
सुप्पतित्थ -- भगवान् महावीर के पूर्वकालीन राजगृह नगर में सातवें सुपार्श्वनाथ का मन्दिर था । जिसमें महात्मा बुद्ध ठहरे थे, ऐसा बौद्ध प्रन्थ "महावग्ग" में उल्लेख है । यह ऐतिहासिक घटना देखो ! इसी पुस्तक के पृष्ठ १३४ पर । X
सर्वत्र माननीय है ।
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'नंदराज नीतं च कालिङ्ग जिन संनिवेस ' कलिंग देश में यह जिन मन्दिर भगवान् महावीर की मौजूदगी में बना था । महामेषवाहन महाराजा खारवेल का शिलालेख देखो ! इसी पुस्तक के पृष्ठ १२६ पर । X
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“वीराय भगवत चतुरासितिय" पं गौरीशंकरजी श्रोमा की शोध खोज से बड़ली ग्राम में मिला हुआ भगवान् महावीर के बाद ८४ वर्ष का शिलालेख देखो इसी पुस्तक के पृ४ १३८ पर ।
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'आक्रोशाद्देवचैत्यानां उत्तमदंडम हार्त्ति "
कौटिल्य अर्थशास्त्र का ३-१८ का क़ानून, यह बतला रहा है कि सम्राट् चन्द्रगुप्त के शासन में देव मन्दिरों के विरुद्ध जो कोई यद्वा तद्वा बोले वह महान् दंड का पात्र समझा जाता था, देखो इसी पुस्तक के पृष्ठ १९० पर ।
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