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एक उल्लेखनीय घटना
भेजकर व्यावहारिक सम्मान किया, जिससे वहां के श्री संघ पर अन्य लोगों के अनुराग में और भी वृद्धि हुई | समय के जानकार व्यवहार कुशल गुरुदेव की छत्र छाया तले व्यवहार कुशलता का काम होवे और उससे जनता में आकर्षण बढ़े यह तो स्वाभाविक ही था । अस्तु ।
प्रतिष्ठा कार्य निर्विघ्न समाप्त हो गया, बाहर से आई हुई जनता भी चली गई और गुरुदेव ने भी विहार कर दिया, परन्तु इसके बाद में वहां पर जो बनात्र बना उसका भी पाठकों को दिग्दर्शन कराना कुछ उचित सा जान पड़ता है -
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"यह तो सभी जानते हैं कि पंजाब में इन दिनों में भी वर्षा की बड़ी जरूरत रहती है और वर्षा होती भी जरूर है | परन्तु प्रतिष्ठा के बाद बादल आते और बिखर जाते बिना बरसे ही चले जाते, अम्बाले के आस पास के ग्रामों में वर्षा होती मगर अम्बाला शहर और उसकी सीमा तक में बिलकुल नहीं । बादल जरूर आते परन्तु बरसते नहीं । यह देख लोगों के मन उदासी छाने लगी और वे तरह २ की कल्पनायें करने लगे । जहां कहीं पांच सात आदमी इकट्ठे होते, वहां इसी बात की चर्चा होने लगती । तब एक पुराने अनुभवी वृद्ध पुरुष ने कहा कि भाई तुम लोग मेरी बात पर विश्वास करो चाहे न करो, परन्तु वह जो बाहर जैन मन्दिर की प्रतिष्ठा के मुहूर्त का भंडा गड़ा हुआ है, उसे जब तक वहां से उखाड़ा नहीं जाता तब तक वर्षा नहीं होगी। क्या तुम्हें याद नहीं कि प्रतिष्ठा के वक्त कैसे बादल चढ़कर आये थे, क्या उनके बरसने कुछ सन्देह था ? मगर नहीं, सारे के सारे विना बरसे ही चले गये । तब एक युवक ने कहा- हां बाबाजी ! बात तो ऐसे ही बनी थी। फिर अब क्या करना चाहिये ?
वृद्ध पुरुष - मेरा तो यह विचार है कि तुम पांच सात आदमी मिलकर यहां के ला० नानकचन्द, केसरीवाला और ला०] गंगारामजी आदि मुख्य २ जैनों से मिलो और कहो कि लालाजी ! आपका प्रतिष्ठामहोत्सव नितापूर्वक बड़ी शान्ति से सम्पूर्ण होगया, शहर के लोगों ने भी उसमें यथा शक्ति पूरा २ सहयोग दिया. आपका सब कार्य पूर्ण होगया, कोई बाकी नहीं रहा और प्रतिष्ठा में आये हुए बाहर के लोग गये तथा गुरु महाराज भी विहार कर गये, तात्पर्य कि भगवान की कृपा से आपका प्रतिष्ठा सम्बन्धी सारा काम बड़ी अच्छी तरह से होगया । परन्तु अब तो आपके प्रतिष्ठा मुहूर्त के लिये गाड़े गये झंडे की कोई आवश्यकता प्रतीत नहीं होती, इसलिये यदि आप उस झंडे को अब वहां से उखाड़ लेवें तो आपकी बड़ी मेहरबानी हो । लोगों का ऐसा कहना और मानना है कि जब तक वह झंडा वहां से उखाड़ा नहीं जावेगा, तब तक हमारे इस शहर में वर्षा नहीं होगी । यह तो आप भी पास में तो वर्षा हो रही है और अपनी हद में बिलकुल नहीं, बादल आते हैं हैं | इत्यादि ।
देख रहे हैं कि हमारे आस और बिना बरसे चले जाते
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