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स्वप्नों की बोली का निर्णय
स्वमतानुराग के उन्माद में अविवेकी पुरुष बहुत कुछ कर जाते हैं परन्तु विचारशील व्यक्ति अपने न्यायोचित मार्ग का कभी उल्लंघन नहीं करते । ( यह है सत्पुरुषों की क्षमा शीलता )
महाराज श्री के इस प्रवचन से संघपति और उसके साथी बहुत प्रभावित हुए और हाथ जोड़ कर कहने लगे कृपा नाथ ! उसके वचनों से संघ में कुछ उत्तेजना फैली, उसी के फलस्वरूप उसको संघ बाहर करने का विचार हुआ था जिसे आपश्री की आज्ञा से अब त्याग दिया है। आपश्री की प्रसन्नता ही हम सब के कल्याण का हेतु है।
इस प्रकार राधनपुर का चातुर्मास सम्पूर्ण करके आपने अहमदाबाद की तरफ बिहार किया। राधनपुर से चलकर श्री संखेश्वर पार्श्वनाथ के दर्शन किये और भोयणी में श्री मल्लीनाथ स्वामी के दर्शनों का लाभ प्राप्त किया, बाद में कड़ी शहर होकर अहमदाबाद पधारे ।
मोतिये का आपरेशन जैसा कि पहले बतलाया गया है आप श्री के नेत्रों में मोतिया उतर रहा था, उसकी चिकित्सा के निमित्त आपका अहमदाबाद में पधारना हुआ था। यहां पर जूनागढ़ के सुप्रसिद्ध डाक्टर त्रिभुवनदास मोतीचन्द शाह ने आपके नेत्रों का आपरेशन किया और मोतिया निकाल दिया। डाक्टर त्रिभुवनदास आप श्री के अनन्य भक्तों में से एक थे । पहले वे ढूंढकमत के अनुगामी थे, बाद में आप श्री के सम्पर्क में आने और सदुपदेश प्राप्त करने से आपने शुद्ध सनातन जैन धर्म को अपनाने का श्रेय प्राप्त किया।
यहां पर गोपाल नामके एक श्रावक-[जो कि शाहपुर-अहमदाबाद का रहने वाला था ] को श्री प्रेम विजय जी के नाम की दीक्षा देकर ज्ञानविजय नाम रक्खा ।
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