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नवयुग निर्माता
उपस्थित किये सद्विचारों को अनुमोदन दिया यह भी कोई कम हर्ष की बात नहीं है । अच्छा अब मेरे भी दैनिक साधु कृत्य का समय हो रहा है इसलिये आपसे विदा मांगता हूँ, “धर्म लाभ" इतना कहते हुए महाराज प्रानन्दविजयजी वहां से उठे और साथ में महात्माजी, दरवार बीकानेर और चांदमलजी ढड्डा भी उठकर आप श्री को विदा करने के लिये साथ में आये और वन्दना नमस्कार करके वापिस लौटे। इधर महाराज श्री आनन्दविजयजी भी अपने स्थान पर पहुंचकर अपने दैनिक धार्मिक कृत्य में लग गये।
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