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________________ २८७ २८९ २६० २६१ २६३ २१७ ३०५ ३६० ३११ ३१८ m ७६-श्री हुक्ममुनि का प्रकरण ७७-रायचन्द से राजविजय ७८-बम्बई से आमंत्रण ७६-बड़ौदे के बदले मातर गांव ८०-साधुओं से परामर्श ८१-चूड़ा ग्राम के श्रावकों को आश्वासन ८२-पालीताणे का प्रवेश और उपद्रव शान्ति ८३-पालीताणे का चातुर्मास ८४-पूर्णिमा की यात्रा ८५-आचार्य पदवी का पुण्य जागा ८६-पाट परम्परा का अनुसंधान ८७-फिर चूड़ा गांव में ८८-राधनपुर में प्रवेश ८६-छगन की दीक्षा का पूर्व इतिवृत्त १४-पाटण में एक मास ११-चतुर्थ स्तुति निर्णय की रचना ६.२-राधनपुर श्री संघ के संगठन की एक झलक ६३-म्वप्नों की बोली का निर्णय (क) श्री विगतवार खाता (ख) मोतिये का आपरेशन १४-गुरु चरणों में अनन्यानुराग मैसाणा का चातुर्मास ६५-हार्नल महोदय और आचार्यश्री ६६-श्री जैन प्रश्नोत्तर रत्नावली की रचना ६७-गुजरात से पुनः पंजाब की ओर १८-शिष्य रत्न का वियोग ६१-एक पंडित से भेट १००-महाशय लेख राम का समागम १०१-ब्राह्मण युवक गुरु चरणों में १०२-ला. गोदामलजी क्षत्रिय का धर्मानुराग ३२६ .३३३ ३३३ ३३५ ३३६ ३३७ ३३%3 ३४१ ३४३ ३४४ ३४५ ३४६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003203
Book TitleNavyuga Nirmata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayvallabhsuri
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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