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________________ * विषयानुक्रमणिका * अध्याय पृष्ठ संख्या प्रारम्भिक यत् किंचित १-जन्म और बाल्यकाल २-भ्रमण और ज्ञानार्जन ३-तथ्य गवेषणा की ओर ४-जिज्ञासा पूर्ति की ओर ५-सन्त रत्न के समागम में ६-मानसिक परिवर्तन ७-सत्य प्ररूपणा की ओर .८-मूर्तिपूजा की आनुषंगिक चर्चा ६-गुरु शिष्यों में मार्मिक वार्तालाप १०-साधु वेष का शास्त्रीय विवरण ११-मुख वस्त्रिका का शास्त्रीय स्वरूप और प्रयोजन १२-मूर्तिवाद का शास्त्रीय निर्णय १३-(क) धर्म प्रचार की गुप्त मंत्रणा (ख) बल संग्रह की ओर १४-पट्टी का मनोरंजक प्रकरण १५-अजीव पंथियों से चर्चा १६-स्पष्टवादिता १७-कलह का सुन्दर परिणाम ५८-होशयारपुर व बिनौली का चातुर्मास १६-श्री चन्दनलालजी आदि साधुओं का प्रतिबोध २०-विरोधि-दल का सामना (क) पूज्य अमरसिंहजी का मेजर नामा (ख) गुरु शिष्य वार्तालाप (ग) पूज्य जी के भक्तों का मनोरथ २१-सत्य की प्रत्यक्ष घोपणा १११ ११७ ११६ १२३ १२८ १ १३१ १३३ १३३ १३५ १३६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003203
Book TitleNavyuga Nirmata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayvallabhsuri
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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