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ता० २६-१२-५५ से खोल दिया गया है। मार्च १६५६ के अन्त तक निधि में पचास हजार रु० जमा होने
भारत सरकार से भूमि प्राप्त की जावेगी । महासभा का निश्चय है कि सन् १९५६ में एक लाख रु० का फंड एकत्रित किया जावे और सन १६५७ में फिर एक लाख और एकत्रित करने का प्रयत्न किया जावेगा ।
अपील
पाठकों से सानुरोध प्रार्थना है कि पंजाब केसरी स्वर्गीय जैनाचार्य के स्मारक के सफल बनाने के लिए यथाशक्ति आर्थिक सहायता देकर अपने धनका सदुपयोग करके अपने जीवन को सफल बनावें । गुरु भक्ति के लिए लाखों रुपये का दान देने वाले गुरु भक्त आज भारतवर्ष में विद्यमान हैं। उन्हें अब अपना ध्यान वल्लभ स्मारक की ओर लगाना चाहिए ।
प्रेमी तथा श्रद्धालु गुरुभक्तो ! देहली नगर की ओर दृष्टिपात करो । आगे बढो और देश की राजधानी में गुरुदेव श्री वल्लभ का झंडा गाड़ दो। अपनी श्रद्धा और भक्ति के अनुसार दान देकर देहली में गुरुदेव का आदर्श एवं अनुपम स्मारक बनाने में अपना पूर्ण सहयोग दो ताकि गुरुवर्य का अमर भंडा भारत की राजधानी में लहराता हुआ दृष्टि गोचर हो । सत्य और अहिंसा के अवतार भगवान महावीर तथा और पट्टधर आचार्यों के रचित साहित्य और कला कौशल को सुरक्षित रखने के लिए और संसार में जैन दर्शन और साहित्य के प्रचार के लिए तन, मन, धन से पूरी पूरी सहायता करें |
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प्रधान :
बाबूराम जैन
एम. ए. एल. एल. बी. प्लीडर
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