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________________ सद्गुरु श्री बल्लम स्मारक योजना जैन बन्धुओं के लिए धन, बुद्धि और श्रम दान का स्वर्ण अवसर श्री आत्मानन्द जैन महासभा पंजाब का वार्षिक अधिवेशन १०-११ सितम्बर सन १६५५ को मालेर कोटला में श्री ज्ञानदासजी एम० ऐस० सी० पी० ई. ऐस• सीनियर सब जज की अध्यक्षता में हुआ था। उस अधिवेशन में सर्व सम्मति से यह निर्णय हुआ था कि परम पूज्य परमोपकारी जैनधर्म भूषण जैनाचार्य श्रीविजयवल्लभसूरीश्वरजी महाराज का स्मारक देहली में बनाया जावे । भारतवर्ष की राजधानी देहली आज संसार के प्रसिद्ध व्यक्तियों के लिए तीर्थ स्थान बना हुआ है। ऐसे प्रसिद्ध नगर में स्वर्गीय आचार्य श्री का स्मारक बनाना जैन शासन की सच्ची प्रभावना है। स्मारक की संक्षिप्त रूपरेखा १. विशाल सुन्दर समाधिभवन, दोनों गुरुदेवों के कलापूर्ण स्टैचू, जीवन घटनाओं व मिशन पर प्रकाश । २. विशाल पुस्तकालय, भंडारों के ग्रन्थों का संग्रह, आधुनिक व प्राचीन साहित्य सामग्री का संग्रह । ३. प्रचीन मूर्तियों, विशाल लेखों आदि का संग्रह साथ ही कला भवन । ४. जैन धर्म, दर्शन, साहित्य, इतिहास, आचार पर अनुसंधान ( रिसर्च ) ५. उपयोगी साहित्य व लेखों पर प्रकाशन । ६. अध्ययन के लिए आने वाले जिज्ञासुओं के ठहरने का प्रबन्ध । देहली में जमीन के लिए प्रयत्न देहली में आचार्य श्री का स्मारक निर्माण करने का विचार एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक निश्चय है इस का उद्देश्य भारतीय कला और जैन साहित्यक प्रचार है । अतः भारत सरकार से स्मारक के लिए राज घाट के निकट सस्ते मूल्य पर भूमि देने के लिए प्रार्थना की गई है। हमें पूर्ण आशा है कि स्मारक के लिए मूर्ति बहुत शीघ्र ही प्राप्त हो जावेगी और स्मारक का शिलान्यास उत्सव इस वर्ष किया जावेगा। श्री वल्लभ स्मारक निधि श्री वल्लभ स्मारक की योजना की सफलता के लिए वल्लभ स्मारक निधि स्थापित की गई है जिस का खाता महासभा की वर्किंग कमेटी के निश्चय के अनुसार पंजाब नैशनल बैंक अंबाला शहर में Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003203
Book TitleNavyuga Nirmata
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayvallabhsuri
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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