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________________ ( ४१ ) लाला लाजपतराय "गौ-रक्षा भारत के समस्त स्त्री-पुरुषों का कर्त्तव्य है । जिस क्रूरता से गाय एवं गौ वंश का नाश किया जा रहा है उसे देखते हुए लगता है कि हमारी संतानें कैसी जी पायेगी और यह एक चिन्ता का विषय है ।" गांधीजी गाय को सम्पन्नता और सौभाग्य की जननी मानते थे। उनके - शब्दों में गाय का सम्बन्ध - धार्मिक और आर्थिक दोनों पक्षों से है । गाय: की सुरक्षा प्राणी मात्र के विकास में योगदान देने के समान है । गाय के विनाश के साथ ही हमारा भी विनास निश्चित हो जायेगा । गौ हत्या और मानव - हत्या में कोई अन्तर नहीं है, जब गौ हत्या होती है मुझे ऐसा लगता है कि मेरी हत्या की जा रही है। जब तक हम गाय को बचाने का कोई उपाय ढूंढ़ नहीं लेते तब तक स्वराज्य शब्द का कोई अर्थ नहीं और भारत में वास्तविक स्वराज्य आने से पहले हिन्दुत्व की परीक्षा और सिद्धि इसी कसौटी पर की जाती है ।" सन् १९२६ में मद्रास में आयोजित कांग्रेस अधिवेशन में हिन्दू-मुस्लिम एकता स्थापित करने की एक शर्त के रूप में मुस्लिमों ने गौ वध करने के अपने अधिकार को स्वीकार करने की माँग रखी थी और कहा था कि इसी ६ शर्त पर समझोता मुमकिन हो सकता है। इस पर गांधीजी ने कहा- हिन्दूमुस्लिम एकता के लिये मुझे हर शर्त मंजूर हैं। सायंकालीन प्रार्थना के बाद गाँधोजी विश्राम के लिये गये । प्रात काल उठकर उन्होंने महादेव भाई को उठाया। गाँधीजी ने कहा मैंने बड़ी भारी भूल कर डाली । मुझे याद है कि कल हिन्दू मुस्लिम एकता के मसौदे में गौ वध बंदी की माँग को एक तरफ हटा दिया गया । वे गौ-हत्या करें, यह मैं कैसे सहन करता है। अलबत्ता हम बल प्रयोग नहीं कर सकते किन्तु उन्हें समझा तो सकते हैं। मैं स्वराज्य के बदले अपना गौ-रक्षा का आदर्श कदापि नहीं छोड़ सकता। आप फौरन जाइये और उनसे कहिये कि यह करार मुझे नामंजूर है। कुछ भी हो किन्तु मैं इस प्रकार गौ-माता के साथ विश्वासघात नहीं कर सकता । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003202
Book TitleVibhinna Dharm Shastro me Ahimsa ka Swarup
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNina Jain
PublisherKashiram Saraf Shivpuri
Publication Year1995
Total Pages184
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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