SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 162
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( १४३ ) विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार माँस, मछली या अण्डे के सेवन से लगभग १६० रोग हो सकते हैं, इस जानकारी को "विश्व स्वास्थ्य" जैसे सामयिक में प्रकाशित किया गया है । डॉ. डी. सी. जैन ने शाकाहार दया के लिये सन् १९८४ में नई दिल्ली में एक परिसंवाद का आयोजन किया था जिसमें उन्होंने यह बताया था कि हमारे देश में जीवित प्राणियों की हिंसा अनावश्यक है । उनके इस विधान का अनुमोदिन देशी-विदेशी सभी विशेषज्ञों ने किया था । यहाँ प्रश्न तो यह उठता है कि क्या केवल अनुमोदन ही किसी समस्या का हल है । बाबजूद इसके सब कुछ पूर्ववत् चल रहा है। सरकार मूक प्राणियों के रक्त में डबी विदेशी मुद्रा अर्जित कर देश का उद्धार करना चाहती है । भीषण बूचड़ खाने खुलवाकर तथा लाखों जीवों को मौत के घाट उतारकर भारत को सुखी बनाने का स्वप्न देखना कितनी अधमता है । क्या यह सरकार के प्रशासन पर कलंक नहीं ? और फिर यदि पशु-हत्या वाणिज्य या व्यापार उचित है तो मनुष्य हत्या भी वाणिज्य व्यापार उचित होना चाहिए। यदि पशु हत्या कर देश को आर्थिक क्षति पहुँचाना व्यापार की श्र ेणी में आता है तो स्मगलिंग, जुआखोरी, चोरी, डकैती भी इसी कोटि में आना चाहिए । यदि पशुओं के साथ कृत्रिम गर्भाधान कर उनसे प्रजनन करवाना व्यापार है तो फिर वैश्यावृत्ति व्यापार क्यों नहीं ? कहने में संकोच नहीं कि मानव ने अपनी सूझ-बझ को तिलांजलि देकर निर्णय कर लिया है कि धरातल पर रहने का अधिकार केवल मनुष्यों को ही है । मस्तिष्क हीन मांसाहारी अपने तर्कों को येन-केन-प्रकारेण उचित ठहराते हुए प्रश्न करता है कि दूध प्राणिज पदार्थ होने से माँसाहार है क्योंकि मांस और खून से ही दूध बनता है तब फिर अहिंसा-अहिंसा की पुकार कर माँस खाने को बुरा बताना, दूध पीना और माँस से परहेज करना तो वही बात हुई कि गुड़ खाना और गुलगुलों से परहेज करना क्या तात्पर्य हुआ ? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003202
Book TitleVibhinna Dharm Shastro me Ahimsa ka Swarup
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNina Jain
PublisherKashiram Saraf Shivpuri
Publication Year1995
Total Pages184
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy