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प्रथम नमू कर जोड़कर श्री पारस जिनचन्द्र श्री विजय धर्म गुरु को नमूहो मंगल आनन्द
नम्र सूचन इस ग्रन्थ के अभ्यास का कार्य पूर्ण होते ही नियत
समयावधि में शीघ्र वापस करने की कृपा करें. जिससे अन्य वाचकगण इसका उपयोग कर सकें.
जगत्पूज्य, शास्त्रविशारद जैनाचार्य श्रीमद् विजयधर्मसूरीश्वरजी महाराज
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