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की आज्ञाओं के प्रतिकूल नहीं है वरन् उम शुभ कार्यों के अनुकूल ही हैं जिनेय माननीय और पवित्र मुसलमानों ने उपदेश किया हैं। इस कारण हमने उनय प्रार्थना को मान लिया और हुक्म दिया कि उन बारह दिनों में जिनको पजस (पर्जूषण) कहते हैं, किसी जीव की हिंसा न की जावे।
यह सदा के लिए कायम रहेंगी और सबको इसकी आज्ञा पालन करने और इस बात का यत्न करने के लिए हुक्म दिया जाता है कि कोई मनुष्य अपने धम सम्बन्धि कार्यो के करने में दुख में पावें।
मिति 7 जमावुलसानी सन् 992 हिजरी।
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