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( 13 )
वैज में
पंक्ति
अशुद्ध
11, 26 163
फुटनोट
877
8819 903 93 नं. 2
ईश्वर मानते हो? पर सूरीजी ने पूछा कि (इसके बाद एक पंक्ति ईश्वर ज्ञानी है या अज्ञानी छूट गई है) __कुम्हारी
तुम्हारी भानुचन्द्र, दीनदयाल भानचन्द, दानियाल गदाजी
गांजी अधामधामधामेर्ध स्वचेतसि अधामधामधामेधं
'वयमेव स्वचेतसि दयाकुशलमणि
दयाकुशलगणि, समझाकर सुदि तेरस समझाकर अषाढ़
सुदि तेरस जोविंड, न मरिज्जड जीविडं न मरिज्जडं संख्या है
संख्या 11 है नन्दविजय
नन्दिविजय अन्याय
अन्यान्य खेर्वासराः
रवेर्वासरा: फरवरीदीने
फरवरदीन बही पृष्ठ 299 जहांगीरनामा, हिन्दी
अनुवाद ब्रजरत्नदास वही पृष्ठ 286 मुगल एम्पायर इन
इण्डिया एस. आर.
शर्मा षष्ठ 286 रामसिंह
रायसिंह किया है (इससे पहले ने विज्ञप्ति पत्र के एक पंक्ति छूट गई है) अतिरिक्त अन्य प्रमाणों
के आधार पर भी स्वीकर किया है।
फटनोट की पंक्ति
97 99 110
फुटनोट 1
फुटनोट
112
22, 24, 25
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