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________________ ( 150 ) संवर्तक, संवत्सर, संवत्सरकर, सुनय, सुनेत्र, संकल्प, संकल्पयोनि, संतापन, संतान कृत, संतपन, सुराध्यक्ष, सुरावत, सुरारिह, सगरि, सर्वसद, सर्वर्भानु, सर्वद सर्वदर्शी, सर्वप्रिय, सर्ववेदप्रगीतात्मा, सर्ववेदालय, सर्वरत्रमय, सुरपूजित, सर्वलोक प्रकाशक, सुरपति, सर्वशनिवारण, सर्वतोमुख, सर्व, सर्वात्मा, सर्वस्व, सर्वस्वी, सर्वदयोत, सर्वदयुतिकर, सर्वजितांबर, सर्वोदधिस्थितिकर, सर्ववृत्त, सर्वमदन, सर्वप्रह रणायुध, सर्वप्रकाशक, सर्वग, सर्वज्ञ सर्वकल्याणभाजन, सर्वसाक्षी, सर्वशस्त्रभृतांवर, सुरेश, सर्ग, सर्गादिकर, सुरकार्यज्ञ, स्वर्णकार, स्वर्गप्रतर्दन, सुग्वी, सुरमणि, सुरनिभाकतिसुरेश्रेष्ठ, सृष्टि, स्त्रष्टा, श्रेष्ठात्मा, सृष्टिकृत, सृष्टिकर्ता, सुरथ, सित, स्थावरात्मक, स्थानम्थूलदकू, स्थविर, स्टेय, स्थितिमान्, स्थितिहेतु, स्थिरात्मक, स्थितिस्श्रेय, स्थितिप्रिय, सुतप, सत्व, स्त्रोत, सत्यवान, सत्य, सत्यसन्धि, हुव, होम, होमांतकरण, होता, हयग, हेलि, हिमद, हंस, कर, हरि, हरिदृष्य (300) हरिप्रिय, हर्यश्रय, हरी, हिरण्यगर्भ, हिरण्यरेता, हरिताश्व, हेत, हुताहुति, द्यौः; दुःस्वप्रापशुभनाशन, धराधर, धाता, ध्वांतापह, ध्वांतसूदन, ध्वांतविषेषी, ध्वांतहा, धुमकेतु, धीमान्धीर, धीरात्मा, धन, धनाध्यक्ष, धनद, धनंजय, धन्वन्तरि, धन्य; धनुर्धर, धनुष्मान् धुव, धर्म, धर्माधर्म, प्रवर्तक, धर्माधर्मवरपद, धर्मद, धर्मध्वज, धर्मवृक्ष, धर्मवत्सल, धमकेतु, धर्मकर्ता, धर्मनित्य, धर्मरत, धरणीधर धर्मराज, धृतातपत्राप्रतिम (पत्राअप्रतिम) धृतिकार, धुतिमान्, दिवा, द्वादशात्मा, द्वापर, दिवापुष्ट, दिवापति, दिवाकर, रिवृत, दिवसपति, दिविस्थतं, दिव्यवाह, दिव्यवपुः, दिव्यरूप, दयुवम, दयालु, देहकर्ता, दीधितिमान्, दीप दीप्तांहूं, दीप्तदीधित, देव, देवदेव, ध्योत, ध्योतितानल, दिपति, दिग्वासा, दक्ष दिनाधीश, दिनबन्ध, दिनमणी, दिनकृत, दिनानाथ, दुराराध्य, पापनाशन, पावन भास्वान्, भास्कर, ससंत, भासत, भासित, भावितात्मा, भाग्य, भानु, भानेमि भानुकेसर, भानुमान (?) भानुरूप, बहुदायक, भूधर, भवद्योत् भूपति, भूष्ट (400) भूषणोन्दासी, भोगी, भोक्ता, भुक्नपूजित, भुवनेश्वर, भूष्णु, भूतादि, 'भूतां तकरण, भूतात्मा, भूताश्रय, भूतिद, भूतभव्य, भूतविभु भूतप्रभू, भूतपति, भूतेश, भयांतकरण, भीम, भीमत, भग, भगवान् भक्तवत्सल, बहुमंगल, बहुरूप, भृताहार, भिषग्वर, बुद्धिबुद्धिवद्धन, बुद्धिमान, बन्ध, पदमहस्त, पद्मपाणि, पद्मबन्धु, पद्मः योगी, पद्मयोनि, पदमोदरनिभानन, पदमेक्षण, पदमावली, पदमनाभ, पदिमनीश, विभावस, विचित्ररथ, पवित्रात्मा, पूषा, ब्योममणि, पीतवासा, पक्षबल; बलभृत, बलप्रिय, बलवान, बली, बलिनांवर, पिनाकधुक्य, बिन्दु, बन्धु, बन्धहा, पुंडरीकाक्षा पुण्य, संकीर्तन, पुण्य हेतु, पर, प्राप्तयान, परावर, परावरश्र, परायण, प्राज्ञ, पराक्रम प्राणधारक, प्राणवान्, प्रांशु, प्रसनात्मा प्रसन्न वदन, ब्रह्मा, ब्रह्मचर्यवान्, प्रद्योत प्रदयोतन, प्रदयोत, प्रभावन, प्रभाकर, प्रभजन, परप्राण, परपुरंजय, प्रजाद्वार, प्रजापति, प्रजन, प्रजन्यप्रिय, प्रियदर्शन, प्रियकारी, प्रियकत, प्रियंवद, प्रियंकर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003201
Book TitleMugal Samrato ki Dharmik Niti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNina Jain
PublisherKashiram Saraf Shivpuri
Publication Year1991
Total Pages254
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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