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________________ ८३ ७. भूगोल का अभ्यास करने वाले नक्शादि देखकर विश्व की अनेक वस्तुओं का ज्ञान आसानी से कर सकते है। ८. शास्त्र संबंधी अक्षरों की स्थापना से उनको देखने वाले मनुष्य को तमाम शास्त्रों का ज्ञान भी हो जाता है। ६. खेतों में पुरुषों की आकृति खड़ी करने से वह प्राकृति निर्जीव होते हुए भी उसके द्वारा खेत की रक्षा अच्छी तरह से हो सकती है। १०. लोगों में कहावत है कि "अशोक वृक्ष की छाया चिता" को दूर करती है, “चंडाल पुरुषों की अथवा रजस्वला स्त्रियों की छाया अशुभ असर करती है" और "गर्भवती स्त्री की छाया" का उल्लंघन करने से योगी पुरुषों का पुरुषार्थ नष्ट होता है-यह विज्ञान सिद्ध है। ११ सती स्त्री का पति परदेश गया हो तब वह स्त्री अपने पति की तस्वीर का रोज दर्शन कर संतोष प्राप्त करती है । श्री रामचन्द्रजी वनवास गये तब उनके भाई भरत महाराजा, राम को पादुका को राम की तरह ही पूजते थे। सीताजी भी राम की अंगूठी को हृदय से लगा कर राम के साक्षात् मिलन का आनंद अनुभव करती थी। हनुमान द्वारा लाए हुए सीता के आभूषणों को देख कर रामचन्द्रजी भी अत्यन्त प्रसन्न हुए थे। श्री पांडव चरित्र में भी कहा गया है कि 'द्रोणाचार्य की प्रतिमा स्थापन करके उनके पास से एकलव्य नाम के भील ने अर्जुन जैसी धनुष विद्या सिद्ध की थी। ऊपर के कितने ही दृष्टांत ऐसे हैं जिनमें शरीर का विशेष प्राकार भी नहीं है, ऐसी निर्जीव वस्तुओं से भी सन्तोष का अनुभव Jain Education International For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.org
SR No.003200
Book TitlePratima Poojan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadrankarvijay
PublisherVimal Prakashan Trust Ahmedabad
Publication Year1981
Total Pages290
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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