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"आत्मार्थी जीवों को मिल सके इसके लिए पूज्य श्री का साहित्य
क्रमशः प्रगट करने की भावना है । अभी हाल में 'नमस्कार दोहन' नामक पुस्तक भी गुजराती में छप रही है । इसके बाद भी उनकी चिंतनात्मक पुस्तकें शीघ्र प्रकट होने वाली हैं । इसके सिवाय उनकी प्रकाशित पुस्तकें जो भी उपलब्ध हैं. उनकी सूचो इस पुस्तक में दी गई है । सब ऐसा चिंतनात्मक साहित्य पढ़कर आत्मकल्याण के मार्ग पर आगे बढ़े यही मंगल कामना ।
दिनांक १-२-८१
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