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जो शिक्षक विद्यार्थी की बुद्धि में उतारने के लिए अनेक प्रकार के जाने-माने स्थूल दृष्टांत दे सकते हैं, वे कुशल “शिक्षक माने जाते हैं; जो ऐसा नहीं कर सकते, वे कितने भी विद्वान् होने पर भी शिक्षक बनने योग्य नहीं गिने जाते ।
परमेश्वर का ज्ञान सब से अगम्य ज्ञान है और उसे देने के लिये अत्यन्त सूक्ष्म बुद्धि वाले महर्षियों ने मूर्ति द्वारा जो कुशलता दिखाई है ऐसी, पृथ्वी के किसी भी देश के धर्मप्रवर्तक भाग्य से ही दिखा सके हों ? ज्ञान के गूढ़तम रहस्यों - को समझाने के लिये प्रत्येक देश के विद्वानों ने सांकेतिक चित्रों के द्वारा, गूढाक्षरों द्वारा गूढ शब्दों द्वारा, रूपक द्वारा और कथाओं द्वारा तथा साथ ही साथ मूर्तियों द्वारा बड़े बड़े प्रयास किये हैं । परन्तु इन सब में श्रार्य महर्षियों ने जो सूक्ष्म दृष्टि और बुद्धि का चमत्कार बताया है ऐसा आज तक कोई भी बताने में समर्थ नहीं हो सका है । उत्तम कल्याणकारक रहस्य - सामान्य बुद्धि की प्रजा को समझाने के लिये, उन रहस्यों को संकेत में उतारना कोई खिलवाड़ नहीं हैं ।
जैसे २ बुद्धि वैभव बढ़ता है, वैसे २ यह शक्ति श्राती है । थोड़े में अधिक अर्थ बतलाने का कार्य, सूक्ष्म बुद्धि वाले लोग ही कर सकते हैं । प्ररणव प्रथवा ओम्कार के एक ही अक्षर में कितना निगूढ़ रहस्य समझाया गया है उसकी कल्पना भी प्राज कोई नहीं कर सकता । तीन-चार शब्द से बने एक ही सूत्र से सैकड़ों पृष्ठों में समाने योग्य अर्थ बतलाने में, पुराने ऋषि मुनि कितने -सफल सिद्ध हुए हैं, यह बात विश्व विख्यात है ।
इस प्रकार गूढ़ रहस्य को बताने वाले संकेतों को तैयार करने में अगाध बुद्धि बल की आवश्यकता है । असाधारण
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