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पाताले यानि बिम्बानि, यानि बिम्बानि भूतले । स्वर्गेऽपि यानि बिम्बानि, तानि वन्दे निरन्तरम् ॥१॥
पाताल-लोक में रहे हुए, भूतल में रहे हुए तथा
स्वर्ग लोक में रहे हुए -श्री जिन बिम्बों को मैं निरन्तर वंदन करता हूँ। जिने भक्तिजिने भक्ति-जिने भक्तिदिने दिने। सदा मेऽस्तु सदा मेऽस्तु, सदा मैऽस्तु भवे भवे ॥१॥ भगवान् श्री जिनेश्वरदेवों के प्रति
भवोभव में सदा के लिए
नित्य प्रति मुझे भक्ति प्राप्त होवे।
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