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दिखावे की भक्ति दिष्ट और सुगन्धित व्यञ्जनों के थाल लाकर रखे । उसके मुंह में पानी छूट आया। पेट भी पुकारने लगा, किन्तु वे चिड़िया की तरह एक-एक दाना चुगने लगे, इस विचार से कि लोग समझे चेला जी बहुत ही अल्पाहारी और संयमी है।
भोजन के बाद चेला जी का उपदेश और भजन हुआ। वे भजन गाते-गाते जमीन पर लुढ़क पड़े-इस विचार से कि लोग समझे, प्रभु भक्ति में कितने लीन हैं।
बहत देर तक भक्ति का नाटक रचने के बाद सायंकाल चेला जी वापस अपने आश्रम आगये। गुरु जी प्रतीक्षा में बैठे थे। चेला जी आते ही बोले-'कुछ खाना बचा हो तो जल्दी लाओ, पेट में चूहे दंड पेल रहे हैं।' ____ गुरु ने आश्चर्य के साथ पूछा-शिष्य ! तू तो राजा के यहाँ भोजन करने गया था, क्या वहाँ कुछ भी नहीं खाया?
चेले ने कहा-खाया क्यों नहीं, किंतु सिर्फ कहने भर को, किसी खास कारण से भूखा ही रहा'" ।'
गुरु बड़े स्पष्टवक्ता और सरल हृदय थे, सिर पर हाथ धरते हुए कहा---'मूर्ख ! वह खास कारण कौन सा भगवान का संदेश था। इसके सिवा और क्या कारण होगा कि लोग देखें कि चेला कितने संयमी और अल्पाहारी हैं, जो दो-चार दाने खाते हैं, और दिन भर प्रभुभक्ति में लीन
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