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प्रतिध्वनि
कहते हैं ब्रह्मर्षि भृगु एक बार देवताओं में बड़ा कौन है, इसकी परीक्षा करते हुए ब्रह्मा, शिव आदि के पास घूम आये । पर उन्हें कहीं बड़प्पन का दर्शन नहीं हुआ तो वे शेष-शय्याशायी विष्णु के पास पहुँचे । लक्ष्मी जी उनके पास बैठी पांव दबा रही थीं। भृगु ऋषि ने पहुँचते ही विष्णु को पांव की ठोकर मार कर उठाया। विष्णु ने ऋपि को सामने खड़ा देखा तो वे अत्यन्त विनम्रता के साथ उनके चरणों को सहलाते हा बोले--"भगवन् ! कहीं मेरी कठोर देह के स्पर्श से आपके चरण कमलों को कोई कष्ट तो नहीं पहुँचा ?
भृगु पानी-पानी हो गए। उन्होंने उद्घोषणा की-- 'विष्णु ही सर्व देवों में श्रेष्ठ हैं।'
यह हुई देवों की बात ! अब मनुष्यों की बात भी सुनिए--बगदाद के खलीफा हारू रशीद अपनी न्यायपरायणता और प्रजावत्सलता के लिए प्रसिद्ध थे। एक बार उनका शाहजादा क्रोध में आनन फानन हुआ आया, और बोला--'आपके अमुक अफसर ने मुझे माँ की गंदी गाली दी है।'
खलीफा ने शाहजादे को सामने बैठाया और बजीरों से पूछा--'बताइए, उस अफसर को इस अपराध की क्या सजा देनी चाहिए?
किसी ने कहा--उसे जान से मरवा डालिए । किसी ने कहा--उसकी जीभ खिंचवा देनी चाहिए ।
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