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प्रतिध्वनि
में और भगवान के दरबार में भी न्याय कहला सके ।'
बादशाह ने हँसकर बजीर की ओर देखा-'गुलाम कहता तो ठीक है, कहिए आपकी क्या राय है ?' ।
बजीर घबराकर बोला-'जहांपनाह ! यह गुलाम विचारा खानदानी सेवक है, इसे छोड़ दीजिए' इसकी कोई गलती नहीं, गलती मेरी है कि मैं नीतिकारों के इस उपदेश को भूल गया-'तुम किसी पर ढेला फेंकते हो, तो उसकी गोली का निशान बनने से बच नहीं सकते।' जो दूसरों का बुरा सोचता है, खुद उसका भी बुरा होता है ।
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