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________________ २६ प्रतिध्वनि याद भुलादी और माल जमा करने की फिक्र में सारी उम्र बितादी । * एक बुद्धिमान से किसी ने पूछा - इस संसार में भाग्य - शाली कौन है ? विद्वान ने जवाब दिया- जिसने खाया (स्वयं उपयोग किया) और बोया (परलोक के लिए सुकृत का बोज बोया) वह भाग्यशाली है । और जो मर गया और छोड़ गया, वह दरिद्र ( बदनसीब ) है । कहते हैं ईरान में एक सम्राट हो गया है— कारू !! उसके पास अपार संपत्ति थी ! उसके भंडारों की तो गणना ही क्या, भंडारों की कुंजियां ही चालीस ऊँटों पर चलती थी । हजरत मूसा ने उसे एक बार उपदेश दिया था - "जिस तरह अल्लाह ने तुझ पर महरबानी की है, उसी तरह तू भी लोगों पर महरबानी कर । बादशाह कारू ं ने इस उपदेश पर चुटकियां बजाकर मजाक किया । जब कारू मरने लगा तो उसने संपूर्ण खजाना अपनी छाती पर रखने का आदेश दिया। जैसे ही खजाना उसकी छाती पर रखा गया, वह भूमि में समागया । गुलिस्तां भाग २ | 1 आज भी किसी के पास अपार संपत्ति होती है तो उसके लिए 'का' का खजाना' कहावत चलती है । * ! Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003199
Book TitlePratidhwani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1971
Total Pages228
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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