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मन की बोत
यदि उस अनजाने घुड़सवार को गठरी दे देती, और वह नौ दो ग्यारह हो जाता तो मैं क्या करती ?" घुड़सवार को लौटा देखकर वह बोली-"बेटा ! वह बात तो गई, जो तेरे दिल में कह गया वह मेरे कान में भी कह गया । चल, अपना रास्ता नाप !"
सच है, दिल, दिल का गवाह होता है।
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