________________
५६
मित्र बनाकर
कटुता से कटुता नहीं मिट सकती, वैर से वैर शांत नहीं हो सकता । अग्नि से अग्नि नहीं बुझ सकती !
भगवान महावीर से जब पूछा गया - "क्रोध को विजय कैसे करें ?" तो उन्होंने बताया- 'क्षमा' से !--
उवसमेण हणे कोहं
- दश० ८
उपशम से क्रोध को जीतो ।
जब तथागत बुद्ध से पूछा गया - शत्रुता को, वर विरोध को मिटाने का उपाय क्या है ? तो वही प्रतिध्वनि फिर गूंजी - अवेर से वैर को जीतो
अवेरेण च सम्मंती
- धम्मपद ११५
अवेर से ही वैर शांत होता है ।
१५७
Jain Education Internationa For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org