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आग्रह
ग्रह' मनुष्य के लिए इष्ट भी होते हैं और अनिष्ट भी, किंतु 'आग्रह' तो सदा अनिष्ट ही होता है । आग्रह-से सत्य का द्वार बन्द हो जाता है । आग्रही बुद्धि-सत्य को सत्य रूप में नहीं, किंतु अपनी पूर्वबद्ध धारणा के अनुकूल बनाने का प्रयत्न करता है।
यदि किसी सुआँखे व्यक्ति की देखी हुई वस्तु को जन्मांध व्यक्ति नकारने लगे तो इसका अर्थ यह नहीं कि सुआँखा व्यक्ति झूठा हैनाऽन्धाऽदृष्ट्या चक्षुष्मतामनुपलम्भः
सांख्य दर्शन १११५६ इसी प्रकार आग्रही यदि किसी सत्य को नकारता है तो उसके नकार मात्र से सत्य का अस्तित्व लुप्त नहीं हो जाता। राजस्थान में एक लोककथा प्रसिद्ध है । एक गाँव में
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