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प्रतिध्वनि
आश्चर्य के साथ पूछा-यह क्या ? साधू संन्यासियों को नहीं बाँटा ? __ प्रधान ने विनम्रता के साथ कहा--'महाराज ! दिन भर नगर में घूमता रहा, पर कोई साधु संन्यासी ही नहीं मिला ? जो वास्तव में साधु हैं, वे तो इन उपहारों को छूते भी नहीं, और जो इन उपहारों की अभिलाषा करते हैं, वे वास्तव में साधु नहीं, अब आप ही कहिए मैं किन को दं ?'
राजा ने प्रसन्नता के साथ प्रधान को धन्यवाद दियावास्तव में ही तुमने साधु संन्यासियों की सच्ची परीक्षा की है । सच्चे साधु को धन से क्या लेना है ?..."
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