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बोलते चित्र
भौतिक पदार्थों की आशा कभी भी निराशा में परिरगत हो सकती है, पर निष्काम वृत्ति कभी निराशा में नहीं बदल सकती । निष्काम साधक लाभ-अलाभ, सुखदुख, यहाँ तक कि जीवन-मरण के प्रसंगों पर भी समभाव में ही वर्तता है ।
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