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वीरों का भूषण
राजा भीमदेव के महामंत्री विमलशाह जैन श्रावक थे । वे स्वभाव से बड़े ही उदार प्रकृति के थे। उन्होंने अठारह करोड़ रुपए आबू में खर्च किये थे। श्रावक होने के नाते किसी भी निरपराध प्राणी को सताना वे पाप मानते थे। ___ महामंत्री विमल की सवारी निकल रही थी। शस्त्रास्त्रों से सुसज्जित होकर वे रणक्षेत्र में युद्ध के लिए जा रहे थे । मार्ग में खड़ा हुआ ग्वालिनों का समूह महामंत्री विमल को देखकर हँस पड़ा। ग्वालिनें आपस में चर्चा करने लगीं-जीवों की रक्षा करने वाला, पानी को भी छानकर पीने वाला यह कायर व्यक्ति कैसे युद्ध करेगा? - विमल के कर्ण-कुहरों में ये शब्द गिरे। उन्होंने सवारी वहीं पर रोकी। रास्ते के पास ही एक झोंपड़ी
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