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साहित्य रुचि रात्रि के बारह बजे का समय, दिल्ली में सर्वत्र सन्नाटा छाया हुआ था। बादशाह अकबर बिस्तर पर लेटे-लेटे करवट बदल-बदल कर नींद लेने का प्रयास कर रहे थे, पर नींद आ नहीं रही थी। वे उठ बैठे। उसी समय द्वारपाल को बुलाने के लिए घण्टी बजाई। द्वारपाल हाथ जोड़कर बादशाह के सामने उपस्थित हुआ, कहिए क्या आदेश है ।
बादशाह-आज मेरी नींद उड़ गई है, और जल्दी आती नहीं जान पड़ती। ___ द्वारपाल ने नम्र निवेदन करते हुए कहा-जहाँपनाह ! कभी-कभी खाली पेट भी नींद नहीं आती है । आज्ञा प्रदान करें तो सुगन्धित मिठाइयों के थाल मगाऊँ, चाहें तो नमकीन वस्तुएँ लाऊं या फल आदि मंगाये जायें ?
बादशाह- द्वारपाल ! मैं पशु नहीं हूँ जो रात-दिन चरता रहूँ। मानव को उतना ही खाना चाहिए जितना
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