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कुणाल की आंखें
मौर्यवंश के सम्राट अशोक की दो रानियाँ थीं। बड़ी रानी के लड़के का नाम कुणाल था । कुणाल सुन्दर सुशील और सदाचारी था। सम्राट् उसको बहुत ही प्रेम करते थे।
छोटी रानी तिष्य रक्षिता कुणाल के अतिशय सुन्दर रूप को देखकर मुग्ध हो गई। समय पाकर एकान्त में उसने अपने हृदय की बात कुणाल से कही। कुणाल तो अपनी सौतेली माँ की यह बात सुनकर अवाक् रह गया ! उसे विचार आया कि मेरा यह रूप किस काम का जो माता के मन में भी निकृष्ट पाप भावना उत्पन्न करता है। उसने विनम्र शब्दों में कहा-माता ! मैं तुम्हारा पुत्र हूँ, पुत्र के सामने इस प्रकार की बात कहना अनुचित है।
तिष्यरक्षिता विकारों के वशीभूत थी ! उसने कहा"कुणाल ! मैं तुम्हारे मुँह से माँ शब्द सुनना नहीं चाहती। मैं तुम्हारे लिए कितने दिनों से बेचैन हूँ। तुम एक बार
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