________________
वीर कौन ? भगवान् महावीर भारतीय संस्कृति के जाज्वल्यमान नक्षत्र हैं । उनके जीवन की तेजस्वी किरणें आज भी जगमगारही हैं। इन चरम तीर्थङ्कर का साधनाकाल विघ्न बहुल रहा है । भयंकर से भयंकर कष्ट उन्हें भोगने पड़े। रोमांचकारी वेदनाएं उन्हें सहन करनी पड़ी।
साधना का पहला दिन था। एकान्त शान्त कान्त कानन में वृक्ष के नीचे प्रभु ध्यान-मुद्रा में अवस्थित थे। एक ग्वाल बैलों को लेकर आया। प्रभु के पास ही बैलों को छोड़कर वह गाँव में चला गया। पुनः लौटकर उसने देखा बैल वहाँ नहीं थे । वह बैलों को ढूंढने के लिए जंगल में चला गया। रात भर इधर-उधर ढूँढता रहा पर बैल न मिले । वह लौटकर वहीं आता है जहाँ भगवान् महावीर ध्यान में खड़े थे । सन्निकट की झाड़ियों में से बैल भी निकल कर आ जाते हैं । ग्वाल के मन में शंका हो जाती है कि बैल इसी ने छिपाए थे। वह क्रोधावेश में आपे से
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org