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जीवन दान
फ्रांस के मार्सेल्स नगर में ई. स. १७२० में भयंकर प्लेग प्रारम्भ हुआ। मक्खियों की तरह पटापट मानव मरने लगे । श्मशान में मुर्दो के ढेर लगने लगे। न उन्हें जलाने वोला मिलता था और न दफनाने वाला ही। डाक्टरों के सभी उपचार निरर्थक सिद्ध हए । रुग्ण व्यक्तियों को जो डाक्टर देखने जाते वे स्वयं रोग ग्रस्त हो जाते ।
रोग के निदान के हेतु डाक्टरों की एक विराट सभा हुई। सभी ने एक मत से निर्णय किया-प्रस्तुत रोग सामान्य चिकित्सा से ठीक होने वाला नहीं है। इस रोग से जो व्यक्ति मृत्यु प्राप्त हुए हैं उनके कीटाणुओं की खोज करनी चाहिये तभी रोग का सही निदान हो सकता है ।
किन्तु जटिल प्रश्न था प्लेग से मृत व्यकति की शल्य चिकित्सा कौन करे ! यह तो साक्षात् मृत्यु को निमंत्रण देना था। सभी को अपना जीवन प्यारा था, कोई भी डाक्टर इस कार्य के लिये प्रस्तुत न हुआ ।
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