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अब्दाली ने पुनः प्रश्न किया-ये पृथक्-पृथक् क्यों पका रहे हैं ? सभी का भोजन तो एक साथ ही बन सकता है ?
दूसरे सरदार ने कहा- हुजूर ! इनका भोजन एक साथ नहीं बन सकता क्योंकि ये एक दूसरे का छुआ हुआ नहीं खाते हैं।
अब्दाली ने सक्रोध कहा-अरे ! तुम लोगों ने यह बात मुझे पहले क्यों नहीं बताई ? जिस जाति के लोग एक-दूसरे का स्पर्श किया हुआ भोजन नहीं कर सकते वे भला कन्धे से कन्धा मिलाकर किस प्रकार लड़ सकते हैं ? प्रातः होते ही युद्ध का बिगुल बजा दो, अब हमारा जीत निश्चित है।
प्रातः होते ही युद्ध के नगाड़े बज गये। मराठे बहुत ही बहादुरी के साथ रणक्षेत्र में जूझते रहे किन्तु पारस्परिक फूट और भेदभाव के कारण उन्हें पराजित होना पड़ा ओर एकता के कारण अहमदशाह अब्दालो को विजय मिली।
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बोलती तसवीरें
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