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:४३ : मधुर बनो
राजकुमार के अनुचित व उद्दण्डतापूर्ण व्यवहार से राजा अत्यधिक परेशान था। उसने तथागत बुद्ध से निवेदन किया- भगवन् ! राजकुमार को यदि आपश्री समझा सके तो मैं आपश्री का उपकार जोवन भर न भूलेगा। __ तथागत बुद्ध एक दिन घूमते हुए राजकुमार के पास पहँच गये। उससे वार्तालाप करते रहे, पास में हो एक पौधा था उसकी ओर संकेत करते हुए कहाराजकुमार ! जरा इस पौधे को चखो, इसका स्वाद कैसा है ?
राजकुमार ने उसका पत्ता तोड़कर चखा। उसका मुह कड़वाहट से भर गया। उसने उसे थूक दिया और आवेश में आकर उस नीम के पौधे को जड़ से उखाड़ दिया।
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बोलती तसवीरें
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