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बुद्धि-चातुर्य
बादशाह अकबर ने एक व्यक्ति पर क्रुद्ध होकर उसे देश- निर्वासन की आज्ञा प्रदान की। बादशाह के आदेश से वह व्यक्ति बहुत ही उदास हो गया । वह मुँह लटकाये हुए अपने घर की ओर जा रहा था कि रास्ते में बीरबल उसे मिल गया । बीरबल ने उससे उदासी का कारण पूछा तो उसने अपनी करुण कहानी सुना दी । बीरबल ने उसे उपाय सुझाते हुए कहा—तुम शहर के बाहर उस वृक्ष पर जाकर बैठो जहाँ पर बादशाह घूमने के लिए निकलते हैं । यदि बादशाह तुमसे पूछें कि यहाँ पर क्यों बैठे हो तो तुम बहुत ही विनय के साथ निवेदन करना कि जहाँपनाह! मैं तो आपके ही आदेश का पालन कर रहा हूँ । मुझे इस धरती पर ऐसा कोई स्थान दिखाई नहीं दिया जहाँ पर आपका
बुद्धि-चातुर्य
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