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:१६: दान-फल
बादशाह अकबर के दरबार में नवरत्न थे। उनमें एक अबुलफजल भी थे। वे बिना किसी भी भेद-भाव के सभी को उदारता से दान देते थे। एक बार उनसे किसी ने कहा कि आप मुसलमानों के अतिरिक्त हिन्दुओं को क्यों दान देते हैं क्योंकि गैर-मुस्लिमों को दान देने से पुण्य नहीं होता। ___ उन्होंने मुस्कराकर उत्तर देते हुए कहा-मैंने ऐसा सुना है कि मुसलमानों को दान देने से फरिश्ते जन्नत में महल तैयार कर देते हैं और गैर-मुस्लिमों को दान देने से दोजख में कोठरी प्राप्त होती है। मुझे यह ज्ञात नहीं है कि मुझे जन्नत मिलेगी या दोजख । अतः मैं दोनों ही स्थानों पर व्यवस्था कर रहा हूँ ताकि कहीं पर भी चला गया तो जगह मिल जाये।
बोलती तसवीरें
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