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________________ है, हम लोगों का शिकार कर मनोरंजन करता अतः मेरा तुम्हारे से प्रेमभरा यह निवेदन है कि तुम अपने पास बैठे हुए मानव को नीचे धकेल दो । बन्दर ने व्याघ्र को समझाते हुए कहा – तुम कैसी बात करते हो ? यह मानव मेरी शरण में आया है । क्या शरणार्थी के साथ धोखा करके अपने आपको अधम सिद्ध करू ? व्याघ्र - बन्दर ! तू भोला है जिसे तू शरणार्थी मान रहा है वह एक नम्बर का वंचक है । स्मरण रखना वह समय पर तेरे साथ भी धोखा करेगा । बन्दर -- जो पशु अधम कहलाता है वह भी किसी के साथ धोखा नहीं करता फिर मानव जो संसार का सर्वश्रेष्ठ प्राणी है वह कैसे धोखा कर सकता है। वह महापुरुषों के मुँह से शास्त्र श्रवण करता है, वह पुण्य-पाप और धर्म को समझता है अतः वह ऐसा निकृष्ट कार्य कभी नहीं कर सकता । एतदर्थ मैं इसे नीचे गिराने का पाप कभी नहीं करूँगा । व्याघ्र -- बन्दर ! तुझे मालूम नहीं है धर्मशास्त्र तो केवल श्रवण करने के लिए ही हैं। मानव कहाँ उसका आचरण करता है ? यदि वह आचरण करता होता तो यह संसार कभी का स्वर्ग बन जाता । स्वार्थ के लिए २१ Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003197
Book TitleBolti Tasvire
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1971
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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