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अन्याय न करो
महात्मा सुकरात नीति पर भाषण कर रहे थे । तभी राजदूतों ने आकर उन्हें बन्दी बना दिया और कारागृह में बन्द कर दिया ।
उस समय के शासक ने यह आदेश दिया कि यह पागल है । यह हमारी जनता को उल्टी-सीधी बातें सिखाकर गुमराह करता है । अतः इसे जहर का प्याला पिलाकर सदा के लिए समाप्त कर दो ।
रात्रि का समय था । चारों ओर गहरी शान्ति थी । सुकरात का एक परम भक्त क्रीटो बन्दीगृह में पहुँचा और उसने तीक्ष्ण शस्त्र से हथकड़ियाँ व बेड़ियाँ काट दीं, उन्हें मुक्त कर बोला - महात्मन् ! यह सबसे बढ़िया समय है आप यहाँ से भाग जाइये |
अन्याय न करो
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