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वजीर ने मुस्कराते हुए कहा-राजा ने महान् कृपा की है, जो छः बजे फाँसी का समय दिया है। तब तक हमारे सारे कार्यक्रम व्यवस्थित रूप से सम्पन्न हो जायेंगे। किन्तु आप लोगों ने यह आमोद-प्रमोद का सारा कार्यक्रम स्थगित क्यों कर दिया है ?
मित्रों ने कहा-जब परिस्थिति ही प्रतिकूल है तब आप ही बताइये यह आमोद-प्रमोद कैसा?
वजीर ने मधुर हास्य बिखरते हुए कहा-इससे अधिक सुन्दर और क्या परिस्थिति होगी। अभी तो छ: बजने में काफी समय बाकी है। तब तक मैं अपने हाथों से अपने प्रेमी मित्रों को खिलाऊँ, संगीत का आनन्द लू और जीवन के अन्तिम क्षणों की स्मृति सदा अमिट रहे ऐसा प्रयास करूं।
वजीर के आदेश से पुनः सारे कार्यक्रम प्रारम्भ हो गये किन्तु सभी के चेहरे पर उदासी थी, पहले की तरह प्रसन्नता नहीं थी। पर वजीर के चेहरे पर पूर्ववत् ही प्रसन्नता झलक रही थी। वह पूर्ववत् ही आनन्द में था।
राजा को जब ये समाचार मिले तो उसे विश्वास नहीं हुआ । वह स्वयं उसके घर पहुँचा। उसने अपनी आँखों से देखा कि वजीर सभी का प्रेम से
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बोलती तसवीरें
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