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उम्र की दृष्टि से छोटा होगा वह अपना रथ पीछे मोड़ लेगा और बड़े का रथ आसानी से निकल जायेगा। अतः बताओ तुम्हारे राजा की उम्र कितनी है ?
किन्तु आश्चर्य इस बात का था कि दोनों ही राजाओं की उम्र, राज्य विस्तार, सेना, बल, धन, यश, वंशमर्यादा सभी समान थे। अतः कौन रथ को पीछे मोड़े, यह समस्या पैदा हो गई।
अन्त में यह निर्णय लिया गया कि जिसका चरित्र अधिक पवित्र होगा उसे मार्ग दे दिया जाये।
कौशलराज के सारथी ने कहा-मेरे राजा में यह महान् गुण है कि वे शठ के प्रति शठ हैं और सज्जन के प्रति पूर्ण सज्जन हैं, अतः तुम मार्ग दो।।
काशी-नरेश के सारथी ने उत्तर दिया कि हमारे महाराजा की विशेषता निराली है चाहे कोई कितना भी दुर्जन क्यों न हो और महाराजा के साथ दुर्जनतापूर्ण दुर्व्यवहार करता हो उसके प्रति भी महाराजा सज्जनतापूर्ण सद्व्यवहार करते हैं। अपने सौजन्यपूर्ण सद्व्यवहार से उसके हृदय को जीत लेते हैं।
यह सुनते ही रथ में से कौशलराज बाहर निकल आये । वे रथ से नीचे उतर पड़े और सारथी से कहारथ को घुमा लो और परमादरणीय काशी-नरेश को मार्ग दो। वे गुणों में मेरे से बड़े हैं ।
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सद्व्यवहार
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